ब्रेन स्ट्रोक, लक्षण और उपाय | Brain stroke symptoms and remedies
स्ट्रोक्स, एक खतरनाक बीमारी का रूप धारण करती जा रही है। इस बीमारी में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है, इस बीमारी में मरीज के पास बहुत ही कम समय होता है। यदि समय पर चिकित्सा उपलब्ध नहीं होती तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है या फिर मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसलिए इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए जागरूकता बहुत आवश्यक है।
कुछ दिनों से भारत में स्ट्रोक्स के मामले बडी ही तेजी से बढ रहे हैं। जो एक खतरनाक बीमारी का रूप धारण करती जा रही है। इस बीमारी में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है, इस बीमारी में मरीज के पास बहुत ही कम समय होता है। यदि समय पर चिकित्सा उपलब्ध नहीं होती तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है या फिर मरीज कोमा में भी जा सकता है। इसलिए इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए जागरूकता बहुत आवश्यक है। ब्रेन स्ट्रोक्स के मामले सर्दियों में तेजी से बढते हैं।
स्ट्रोक्स क्या है?
मैरिंगो क्यू. आर. जी हास्पिटल के न्यरो एंड स्पाइन सर्जरी के डॉ. तरूण शर्मा के अनुसार सर्दी बने से अक्सर ब्रेन स्ट्रोक्स या दिमाग की नस फटने के मामले बढ जाते हैं। बुर्जुग, मोटापे से ग्रस्त, शुगर और उच्च रक्तचाप के मरीजों को स्ट्रोक्स होने का खतरा अधिक होता है। सर्दियों में स्ट्रोक्स के मामले 80 प्रतिशत बढ जाते हैं। दरअसल मस्तिष्क में रक्त का संचार रूक जाने से स्ट्रोक्स हो जाता है। इसके लिए दो कारण जिम्मेदार हैं-
1. धमनियों में खून के धक्के जमना
2. धमनियों का फट जाना।
व्यक्ति का एक तरफ का चेहरा टेढा हो जाना, शरीर के एक हिस्से में लकवा हो जाना, चलने में परेशानी होना, मरीज को बोलने में दिक्कत होना, चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यदि ऐसा होता है तो व्यक्ति को तुंरत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए। उपरोक्त सभी स्ट्रोक्स के लक्षण हो सकते हैं।
स्ट्रोक्स के मामले सर्दियों में अधिक क्यों होते हैं?
ब्रेन स्ट्रोक्स के मामले सर्दियों में बाथरूम में नहाते समय ही होते हैं। ऐसा सर्दियों में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नहाते समय जैसे ही सिर पर ठंडा पानी पडता है, तो इससे दिमाग में तापमान को नियंत्रित करने वाले एड्रेनलिन हार्मोन तेजी से रिलीज होता है, जिससे ब्लड प्रेश अचानक बढ जाता है, इसलिए जब भी नहाते जाएं तो पानी सिर पर सीधे न डालें। नहाने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
लाइफ स्टाइल भी इसकी बडी वजह
अनियमित जीवन शैली, खराब खान-पान, मानसिक तनाव ब्रेन स्ट्रोक्स की बडी वजह हैं। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रोल अधिक होने की शिकायत अधिक है और धूम्रपान एवं शराब का अधिक सेवन करते है, उनमें स्ट्रोक्स की संभावना बढ जाती है।
एक घंटा अहम होता है
जैसे ही व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिखने लगे तो उसे तुरंत हास्पिटल ले जाना चाहिए। मरीज के लिए शुरू का एक घंटा बहुत ही अहम होता है। इस दौरान सीटी स्कैन, एमआरआई एवं दिमाग की नसों की एंजियोग्राफी आदि जांच की जाती हैं। स्ट्रोक्स होने के साढे चार घंटै के अंदर मरीज को क्लॉट घुल जाने के लिए इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे मस्तिष्क की धमनियों में रक्त संचार सुचारू रूप से और फिर से हो सके। अगर ब्रेन हेमरिज छोटा है तो दवाइयां दी जाती हैं, और यदि बडा है तो ऑपरेशन की करना पडता है। ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीज की जान बचाने के लिए पहला एक घंटा बहुत ही अधिक अहमियत रखता है, इसलिए इसे गोल्डन टाइम भी कहा जाता है। इस एक घंटे के अंदर उच्च प्रशिक्षित एवं अनुभवी न्यूरोसर्जन की देखरेख में इलाज की आवश्यकता होती है, और मरीज को बचाया जा सकता है। देर करने पर मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति और परिजनों को सर्तक रहना चाहिए।